हिंदी अर्थ सहित 20 संस्कृत श्लोक (20 Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning)

भारतीय संस्कृति में श्लोकों का बहुत महत्त्व है। हमारे वेद-पुराणों व असंख्य धार्मिक ग्रंथों में ऋषि-मुनियों व प्रभुद्ध व्यक्तियों ने ढेरों ज्ञान की बातें संस्कृत श्लोकों के रूप में लिखी हैं। आइये आज हम ज्ञान के उस अथाह सागर में से कुछ अनमोल रत्नों को देखते हैं। विद्यार्थी विशेष रूप से इन श्लोकों को कंठस्त कर सकते हैं और उन्हें अपने जीवन में उतार कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

  • संस्कृत श्लोकों का संग्रह 


1. उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा: ।।

अर्थात:- उद्यम, यानि मेहनत से ही कार्य पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से नहीं। जैसे सोये हुए शेर के मुँह में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करता बल्कि शेर को स्वयं ही प्रयास करना पड़ता है।
2. वाणी रसवती यस्य,यस्य श्रमवती क्रिया ।
लक्ष्मी : दानवती यस्य,सफलं तस्य जीवितं ।।

अर्थात:- जिस मनुष्य की वाणी मीठी है, जिसका कार्य परिश्रम से युक्त है, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त होता है, उसका जीवन सफल है।

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